चैत्र नवरात्रि आज से शुरू, इस बार घोड़े पर सवार होकर आ रही है देवी

नई दिल्ली, 8 अप्रैल। इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल आद से शुरू हो रहे हैं. जबकि 17 अप्रैल को महानवमी के साथ इसका समापन होगा. चैत्र नवरात्रि के पवित्र दिन मां दुर्गा को समर्पित हैं. इन नौ दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है. उन्हें फल, मिष्ठान और तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं. कहते हैं कि चैत्र नवरात्रि में व्रत-उपासना करने वालों को मां दुर्गा से मनचाहा वरदान मिल सकता है. चैत्र नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन घटस्थापना की जाती है. इसके बाद ही देवी की पूजा आरंभ होती है. आइए आपको चैत्र नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि बताते हैं।

सूर्य ग्रहण देर रात 2 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. फिर 9 अप्रैल की सुबह चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना होगी. इस दिन आप शुभ मुहूर्त देखकर निसंकोच घटस्थापना कर सकते हैं. इस बार चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना या कलश स्थापना के दो शुभ मुहूर्त रहेंगे. इस साल चैत्र नवरात्रि के 9 दिन बेहद अद्भुत योग बन रहा है. जिससे भक्तों को माता रानी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इसी दिन से हिंदू नववर्ष भी प्रारंभ होगा।

घटस्थापना के दो मुहूर्त
घटस्थापना का पहला मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक। घटस्थापना का दूसरा मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त)- सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक।

कलश स्थापना के लिए सामग्री
चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए मुख्य रूप से पीतल, तांबे या मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, कलावा, नारियल, छोटी लाल चुनरी, आम के पत्ते, जौ, सिंदूर, जल, दीपक, बालू या रेत, तिल का तेल या घी, मिट्टी आदि सामग्री की आवश्यकता होती है।

चैत्र नवरात्रि में कैसे करें पूजा?
नवरात्रि में पूरे नौ दिन सुबह-शाम दोनों समय पूजा करें. दोनों समय मंत्र का जाप करें और आरती भी करें. अपनी जरूरत के अनुसार किसी एक मंत्र का नौ दिन जाप करें. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सबसे उत्तम रहेगा. हर दिन अलग-अलग प्रसाद अर्पित करें या दो दो लौंग रोज अर्पित करें।

इस बार क्या है देवी का वाहन?
हर बार देवी का आगमन किसी विशेष वाहन पर होता है. इससे आने वाले समय के बारे में अनुमान लगाया जाता है. इस बार देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है. यह युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का प्रतीक है. लोगों के जीवन में व्यर्थ के विवाद और दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं हैं।

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