NEET में फर्जी ढंग से बढ़ाए 513 मार्क्स, कॉलेज ने नहीं दिया एडमिशन तो पहुंची कोर्ट

हापुड़, 30 मार्च। उत्तर प्रदेश में फर्जी डॉक्यूमेंट्स दिखाकर एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने का मामला सामने आया है. छात्रा नीट का फर्जी स्कोरकार्ड लेकर हापुड़ में स्थित सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एमबीबीएस सेकेंड ईयर में एडमिशन लेने की कोशिश कर रही थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने छात्रा के खिलाफ संस्थान में प्रवेश पाने के लिए अपने आवेदन में जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने को लेकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह आदेश एमबीबीएस छात्रा माधवी तिवारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही दिया.

छात्रा ने ही हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
छात्रा माधवी ने कोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से मांग की थी कि वह मेडिकल कॉलेज को उसे एमबीबीएस के सेकेंड ईयर में एडमिशन देने का निर्देश दे ताकि वह अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर सके. याचिका में माधवी ने कहा कि उसने मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर का एग्जाम पास कर लिया है लेकिन मेडिकल कॉलेज उसे सेकेंड ईयर में एडमिशन नहीं दे रहा है .

कॉलेज ने छात्रा के फर्जी नीट स्कोरकार्ड का खुलासा किया
छात्रा की याचिका के जवाब में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि माधवी का नीट स्कोर कार्ड और एडमिट कार्ड फर्जी पाया गया है. कोर्ट के आदेश पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर पिलखुवा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने दी ये जानकारी
सरस्वती मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सौरभ गोयल ने आजतक को फोन पर बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया है कि सभी चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश के लिए दो दिसंबर 2019 को ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. 13 और 14 सितंबर 2020 को नीट परीक्षा कराई गई थी, जिसका 16 अक्टूबर को परीक्षाफल घोषित कर दिया गया था.

नीट में फर्जी तरीके से 513 अंक दिखाए
आरोप है कि इटावा की फ्रेंड कॉलोनी निवासी माधवी तिवारी ने 720 में 585 अंक प्राप्त करने के फर्जी दस्तावेज को तैयार कर सरस्वती मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला हासिल कर लिया. हाईकोर्ट के आदेश पर गठित जांच टीम ने फर्जीवाड़ा पकड़ा है. छात्रा द्वारा प्रथम वर्ष की परीक्षा भी पास कर ली गई. कॉलेज ने फर्जी दस्तावेज होने के शक में द्वितीय वर्ष के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद छात्रा माधवी तिवारी ने उच्च न्यायालय में रिट दायर की, जिसमें आगे की पढ़ाई जारी कराने के लिए कॉलेज को निर्देशित करने की मांग की गई. न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए जांच कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी. न्यायालय द्वारा गठित कमेटी ने जांच में पाया कि छात्रा नीट में शामिल हुई थी, जिसने परीक्षा में 720 में से 72 अंक प्राप्त किए थे. छात्रा ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर एमबीबीएस में दाखिला लिया है. जिस पर न्यायालय ने छात्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए.

उच्च न्यायालय के आदेश पर छात्रा के खिलाफ पिलखुवा कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है. सी ओ पिलखुवा जितेंद्र शर्मा ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर इटावा की फ्रेंड कॉलोनी निवासी माधवी तिवारी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज किया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है, जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी

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