हरिद्वार, 23 मार्च। उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अभी टिकट फाइनल कर दिया है। दिल्ली से लौटे हरीश रावत के चुनावी कार्यक्रम को देखते हुए अंदाजा लग गया था कि हरीश रावत हाईकमान से बेटे वीरेंद्र रावत के नाम पर मुहर लगवा कर आए हैं। दूसरी तरफ हरीश रावत के रोड शो में वीरेंद्र रावत को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने की अग्रिम शुभकामनाएं देने का पोस्टर भी नजर आये थे।
एक हफ्ते से दिल्ली में डेरा जमाए हरीश रावत शनिवार को उत्तराखंड आए तो उन्होंने नारसन बॉर्डर से अपना चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए रोड शो निकाला था। नारसन बॉर्डर से निकाले गए रोड शो में चल रहे वाहन पर कैंडिडेट फाइनल होने से पहले ही वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाए जाने की शुभकामनाएं दी गई। रोड शो का हरिद्वार में कई जगहों पर कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया। हरीश रावत ने कहा कि टिकट को लेकर स्थिति बहुत जल्दी साफ हो जाएगी और रावत के मुकाबले रावत ही मैदान में उतरेगा।
माथापच्ची के बाद उत्तराखंड से दो लोकसभा सीटों पर नामों का एलान
आखिरकार लंबी माथापच्ची के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड की बची दो लोकसभा सीट पर भी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने चौथी लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 46 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसमें उत्तराखंड से दो सीटों पर भी उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया है। नैनीताल ऊधम सिंह नगर से प्रकाश जोशी और हरिद्वार से हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को पार्टी ने टिकट दिया है।
दो सीटों के लिए हुआ लंबा मंथन
नई दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल के साथ स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में दोनों सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर मंथन किया गया। दोनों सीटों पर संभावित दावेदारों के नामों पर लगातार मंथन चलता रहा। जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने प्रत्याशी ने नाम फाइनल किए।
गढ़वाल सीट पर गणेश गोदियाल ने दांव लगाया
कांग्रेस ने उत्तराखंड की पांच सीटों में से तीन पर प्रत्याशियों की घोषणा पहले कर दी थी। दो बार के विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे गणेश गोदियाल पर कांग्रेस ने गढ़वाल सीट पर दांव लगाया है। जबकि मसूरी विधानसभा सीट से 2002 व 2007 में विधायक चुने गए जोत सिंह गुनसोला को पार्टी ने टिकट दिया। आरक्षित अल्मोड़ा सीट पर इस बार भी प्रदीप टम्टा पर दांव लगाया है। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर टम्टा सांसद चुने गए थे। जबकि 2014 और 2019 के चुनाव में उन्हें हार मिली।