देहरादून, 28 अगस्त। नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने के मामले में बैकफुट पर आई भाजपा अब मुंबई में बदरीनाथ मंदिर के निर्माण पर मुखर हुई है। कांग्रेस के संरक्षण और मार्गदर्शन में इस मंदिर के निर्माण का आरोप लगाते हुए कहा कि हरीश रावत सरकार के दौरान मुंबई में बदरीनाथ मंदिर की हूबहू नकल बनाने की शुरुआत हुई थी। इस मंदिर के नाम पर करोड़ों रुपए एकत्र हो रहे हैं। कांग्रेस ने इस विषय पर चुप्पी साध रखी है जो उसके वैचारिक दोहरेपन को दिखाता है।
पार्टी प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने मंदिरों धामों के नाम पर कांग्रेस पर भ्रम एवं दोगली राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार की नीति और नियत दोनों स्पष्ट है। यही वजह है कि दिल्ली में प्रस्तावित श्री केदारनाथ धाम मंदिर पर जनभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने वहां तत्काल कार्यवाही की। सरकार ने देश में श्री केदार धाम ही नहीं, राज्य के सभी पावन धामों के नाम पर संस्था या ट्रस्ट बनाने पर रोक लगाई। बावजूद इसके कांग्रेस नेता इस मुद्दे को लेकर सस्ती राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में ही 1 फरवरी 2015 को मुंबई के वसई में श्री बदरी विशाल के मंदिर का शिलान्यास हुआ। केदारनाथ मंदिर के नाम पर हल्ला मचाने वाले गणेश गोदियाल उस समय श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष थे। तब से लेकर आज तक इस निर्माणाधीन मंदिर का उत्तरांचल मित्र मंडल वसई ट्रस्ट, मंदिर के नाम पर श्रद्धालुओं से सैकड़ों करोड़ रुपए एकत्रित कर रहा है।
कोठारी ने इसके निर्माण को लेकर कांग्रेस पर संरक्षण देने और मार्गदर्शन करने का आरोप लगाया। कहा कि यदि ऐसा नहीं है तो, गोदियाल समेत तमाम कांग्रेसी इस मंदिर निर्माण को लेकर विरोध क्यों नही करते हैं। आज तक एक भी शब्द इस निर्माणाधीन मंदिर को लेकर कांग्रेसियों का नही बोलना दर्शाता है कि केदारनाथ उपचुनाव को लेकर कांग्रेस सेलेक्टिव पॉलिटिक्स कर रही है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, सिर्फ और सिर्फ तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस भगवान के धामों की छवि खराब करने से गुरेज नहीं है।