नई दिल्ली, 2 अगस्त। देश के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में छात्रों को बोर्ड एग्जाम (12वीं) के स्कोर के आधार पर भी एडमिशन मिल सकता है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों मे एडमिशन का प्राइमरी यानी मेन क्राइटेरिया कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) स्कोर ही रहेगा। लेकिन इसके आधार पर अगर किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में तीन या चार राउंड की काउंसलिंग के बाद सीटें खाली रह जाती हैं, तो उन्हें भरने के लिए कुछ रियायतें लागू होंगी। UGC ने खाली सीटों को भरने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किया है। यूनिवर्सिटीज को दिशा-निर्देश दिया है कि एक भी सीट खाली न रहे।
SOP में कहा गया है कि- सीयूईटी की मेरिट के बाद भी सीटें खाली रहने पर यूनिवर्सिटी सीयूईटी में सब्जेक्ट क्राइटेरिया में छूट दे सकती हैं। उसके बाद भी सीटें खाली रहती हैं तो यूनिवर्सिटी अपना एंट्रेंस टेस्ट भी कंडक्ट कर सकती हैं। या क्वालिफाइंग एग्जामिनेशन के नंबरों से दाखिला दे सकती हैं। बीए, बीकॉम, बीएससी समेत ग्रैजुएशन कोर्सेज में क्वालिफाइंग एग्जाम 12वीं यानी बोर्ड के नंबर होंगे। वहीं पीजी कोर्सेज में दाखिले ग्रैजुएशन में मिले नंबरों के आधार पर हो सकते हैं। यूजीसी ने कहा है कि सभी कोर्सेज और प्रोग्राम में रिजर्वेशन रोस्टर लागू रहेगा। जिन स्टूडेंट्स का एडमिशन कुछ देरी से होगा, उनके कोर्स को पूरा करवाने की जिम्मेदारी यूनिवर्सिटी को निभानी होगी।
क्यों पड़ी जरूरत?
UGC के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने NBT से बातचीत में कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एक भी सीट खाली न रहे, इस मकसद को पूरा करने के लिए SOP तैयार की गई है। खाली सीटों को भरने के लिए यूनिवर्सिटी को जो विकल्प दिए गए हैं, उनके आधार पर एडमिशन प्रोसेस पूरी तरह से मेरिट के आधार पर और पारदर्शी होगा।
ऐसे छात्र जो सीयूईटी में शामिल हुए थे लेकिन उन्होंने कोर्सेज के लिए किसी विश्वविद्यालय में पहले आवेदन दिया हो या नहीं दिया हो, उन पर भी विचार किया जा सकता है। यूजीसी की कोशिश है कि यूनिवर्सिटी के संसाधन व्यर्थ न जाएं, क्योंकि हर सीट का महत्व है। यूजीसी अध्यक्ष का कहना है कि SOP में दिए गए दिशा-निर्देशों को अपनाकर यूनिवर्सिटी को हर कोर्स की हर सीट को भरने की कोशिश करनी होगी।
दाखिला ले चुके छात्रों को नहीं मिलेगा मौका?
यूजीसी की खाली सीटों पर दाखिले के लिए वही छात्र आवेदन कर पाएंगे, जिन्हें तीसरे या चौथे राउंड की काउंसलिंग के बाद भी कहीं एडमिशन नहीं मिला होगा। जिन स्टूडेंट्स को किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में किसी भी कोर्स में दाखिला मिल गया होगा, उनके आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा। यूजीसी का कहना है कि जो भी रियायतें दी गई है, उनका मकसद खाली सीटों को भरना है और अगर दाखिला ले चुके छात्रों को भी मौका मिलेगा तो इस कवायद का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा। यूजीसी का यह प्रयास तो अच्छा है लेकिन यूजीसी को खाली सीटों को लेकर यूनिवर्सिटी की एडमिशन प्रक्रिया पर निगरानी भी रखनी होगी ताकि कोई शिकायत न हो।