अब हर कॉलेज में दी जाएगी CPR ट्रेनिंग, इस बड़े कारण से UGC ने दिया निर्देश

सीपीआर क्या है? सीपीआर का फुल फॉर्म- Cardiopulmonary Resuscitation है। ये एक तकनीक है जिससे हार्ट अटैक की स्थिति में किसी की जान बचाई जा सकती है। अब ये तकनीक उन स्टूडेंट्स को भी सीखनी होगी जो सामान्य ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे हैं। यूजीसी ने इस संबंध में यूनिवर्सिटीज को निर्देश दिया है।

युवाओं समेत हर उम्र के लोगों में सडन कार्डियक अरेस्ट या अचानक मौत के बढ़ते मामले बड़ी चिंता हैं। हंसते-गाते, खेलते-कूदते और सामान्य दिखने वाला शख्स अचानक गिर जाता है और उसकी मौत हो जाती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए कुछ समय पहले सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) की ट्रेनिंग देने का अभियान बड़े स्तर पर शुरू किया। मेडिकल, एजुकेशन समेत सभी संस्थानों में यह अभियान चला।

अब UGC ने देश की सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों के प्रिंसिपल्स से कहा है कि डॉक्टरों और चिकित्सा बिरादरी के सहयोग से सभी स्टूडेंट्स, फैकल्टी और स्टाफ को बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) की ट्रेनिंग दी जाए।

UGC ने आंकड़े देते हुए कहा है कि देश में केवल 0.1%% लोगों को ही बीएलएस तकनीक की जानकारी है। अब एजुकेशन सेक्टर में बड़े स्तर पर इस ट्रेनिंग को शामिल किया जाना चाहिए। जितने ज्यादा लोगों को यह ट्रेनिंग मिलेगी, उतने अधिक लोगों की जान बचाना संभव हो सकेगा।

3 से 10 मिनट बेहद महत्वपूर्ण
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने भी सीपीआर ट्रेनिंग ली थी और लोगों से अपील की थी कि सभी को यह ट्रेनिंग लेनी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय इस अभियान में संस्थाओं की मदद भी कर रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कार्डियक अरेस्ट आने की स्थिति में 3 से 10 मिनट का समय बहुत अहम होता है। एक स्टडी से सामने आया है कि देश में प्रति वर्ष करीब दस लाख लोगों की मौत केवल कार्डियक अरेस्ट के कारण होती है। अगर कोई ट्रेंड व्यक्ति पीड़ित की जान बचाने की कोशिश करता है तो करीब साढ़े तीन लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।

CPR क्या है?
CPR में बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने से पहले जीवित रखने के लिए हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डालने के लिए एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है। कार्डियक अरेस्ट होने पर हृदय मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति में इस तकनीक से मरीज की जान बचाई जा सकती है।

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